केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत उन कुछ देशों में से एक है जिनके पास एक विशिष्ट समर्पित जैव प्रौद्योगिकी नीति बायो ई-3 है जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने बीआरआईसी का दूसरा स्थापना दिवस मनाया:
नई दिल्ली (PIB): भारत की जैव अर्थव्यवस्था 10 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 130 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है, आने वाले वर्षों में इसके 300 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान: डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बीआरआईसी-बीआईआरएसी एंटरप्रेन्योर-इन-रेजिडेंस (ईआईआर) कार्यक्रम का शुभारंभ किया; अपनी तरह की अनूठी एनएचपी-एबीएसएल-3 सुविधा का उद्घाटन किया
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीबीटी का सर्वश्रेष्ठ परिणाम अभी आना शेष है
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बीआरआईसी-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई) में आयोजित "जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद" (बीआरआईसी) के दूसरे स्थापना दिवस समारोह में उद्घाटन भाषण दिया। डॉ. सिंह ने एनएचपी-एबीएसएल-3 सुविधा के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए कहा कि भारत पहले ही जैव प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित अगली औद्योगिक क्रांति की ओर अग्रसर है।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि भारत उन कुछ देशों में से एक है जिनके पास एक विशेष समर्पित जैव प्रौद्योगिकी नीति बायो ई-3 है। उन्होंने भारत सरकार में सबसे गतिशील और एकीकृत वैज्ञानिक पारिस्थितिकी प्रणालियों में से एक के रूप में उभरने के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की प्रशंसा की। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 14 स्वायत्त जैव प्रौद्योगिकी संस्थानों को एक ही छतरी-बीआरआईसी के अंतर्गत विलय करने का निर्णय एक परिवर्तनकारी सुधार था, जिसने भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में समन्वय, नवाचार और प्रभाव को मजबूत किया।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि ब्रिकबीआरआईसी के अंतर्गत संस्थानों का एकीकरण भारतीय विज्ञान में "सहक्रियाशील कार्य" की भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "अलग-थलग रहने का युग समाप्त हो गया है। हम जैव प्रौद्योगिकी, चिकित्सा अनुसंधान, कृषि और डेटा-संचालित विज्ञान में सहयोग की ओर बढ़ चुके हैं। बीआरआईसी अब न केवल अन्य विज्ञान विभागों के साथ, बल्कि नवाचार को गति देने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), चिकित्सा संस्थानों और निजी उद्योग के साथ भी साझेदारी कर रहा है।" डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति में जैव प्रौद्योगिकी भारत के विकास का प्रमुख चालक बन गई है। हाल ही में शुरू की गई बायो ई-3 नीति का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत को जैव-नवाचार में विश्व के अग्रणी देशों में स्थान प्राप्त है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि जब वैश्विक आर्थिक विकास का अगला चरण जैव प्रौद्योगिकी-संचालित होगा, तो भारत उसका अनुयायी नहीं, बल्कि अग्रणी संचालक होगा।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने सफल सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के उदाहरण के रूप में बीआरआईसी और बीआईआरएसी का हवाला दिया जो वैश्विक मंचों पर भी मानक बन गए हैं। डॉ. सिंह ने परिवर्तनकारी अनुसंधान में भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कई प्रमुख उपलब्धियों, जैसे उन्नत जैव सुरक्षा सुविधाओं की स्थापना, हीमोफीलिया जीन थेरेपी में सफलता और जैव प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती वैश्विक रैंकिंग का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "कोविड महामारी के दौरान वैक्सीन की कहानी ने भारत की छवि को वैश्विक स्वास्थ्य सेवा के प्राप्तकर्ता से निवारक स्वास्थ्य सेवा समाधान के प्रदाता के रूप में बदल दिया है।"
केंद्रीय मंत्रा महोदय ने डीबीटी और आरआईसी संस्थानों की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं और जैव-अर्थव्यवस्था मिशन द्वारा समर्थित भारतीय बायोटेक स्टार्टअप राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने भारत की जैव अर्थव्यवस्था के 10 अरब अमेरिकी डॉलर से 130 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक तक तेजी से विस्तार का हवाला दिया।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव और बीआरआईसी के महानिदेशक डॉ. राजेश एस. गोखले ने अपने संबोधन में पिछले तीन वर्षों में बीआरआईसी संस्थानों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 3,190 प्रकाशन, 107 पेटेंट, 13 प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण, 2,578 पीएचडी विद्वान और 678 पोस्ट-डॉक्टरल फेलो जो वर्तमान में अनुसंधान नेटवर्क में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नेचर प्रिंगल्स इंडेक्स के अनुसार, बीआरआईसी भारत में जैविक विज्ञान में प्रथम स्थान पर है।
डॉ. गोखले ने बताया कि हाल ही में शुरू किए गए डिज़ाइन फॉर बायो ई-3 चैलेंज के लिए अब तक 510 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें से 431 बीआरआईसी संस्थानों से हैं, जो देश भर के युवा शोधकर्ताओं की मजबूत भागीदारी को दर्शाता है। उन्होंने नवाचार-आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए फरीदाबाद में 200 एकड़ के परिसर में बीआरआईसी बायो-एंटरप्राइज इनोवेशन पार्क की स्थापना की भी घोषणा की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कार्यक्रम का समापन करते हुए भारतीय जैव प्रौद्योगिकी के भविष्य के प्रति आशा व्यक्त करते हुए कहा, "डीबीटी का सर्वश्रेष्ठ अभी आना बाकी है - और भारत का भी सर्वश्रेष्ठ अभी आना बाकी है। विकसित भारत का मार्ग डीबीटी के गलियारों से होकर गुज़रेगा।"
इस कार्यक्रम में डॉ. कलैवानी गणेशन, वैज्ञानिक-एफ डीबीटी/नोडल अधिकारी, ब्रिक, डॉ. आनंद देशपांडे, संस्थापक अध्यक्ष और एमडी, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स और सह-अध्यक्ष, गवर्निंग बॉडी, ब्रिक, प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, कुलपति, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और डॉ. पी. एम. मुरली, अध्यक्ष, काउंसिल ऑफ प्रेसिडेंट्स ऑफ एबीएलई; संस्थापक और जननोम प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
